हर इन्सान कॆ दिल मॆ रहतॆ हुए,
मै उसी कॆ नफरत का शिकार हू,
मै जलन, मै ईर्शा, मै ही नफरत का एहसास हू.
मै धर्म, मै जाती, मै ही उच्च-निच्च का भॆदभाव हू,
मै य़ुध्द, मै निती, मै ही खुन की प्य़ास हू.
मै हर शुरुवात, मध्य ऐवम अंत की शुरुवात हू,
मै हर अच्छाई और बुराई करने की वजह का नाम हू.
मै लालच, मै घुस्सा, मै ही बईमानी का विशवास हू,
मै हर धर्म और कर्म करने वाले के चेहरे के पिछे का राज हू.
मै दंगा, मै फसाद, मै ही कत्ल का आगाज हु,
एक जानवर के दिल मे बैठे बच्चे के लिए मै प्यार की आस हू.
ग्य़ानि, अग्य़ानि, संत और साधु, हर एक के धोके का निशान हू,
मै चोरी, मै ङकैती, मै ही लुट की राह हु.
मै हर इंसान की चाह, और उस के चूनाव का अंजाम हू,
मै दर्द, मै तकलिफ, मै ही आराम हू.
किसी भी रुप मे देखो मुझे, मै एक बदलाव ह्,
हर इंसान के लिए मेरे नाम को अर्थ है, क्योकि मै ही शैतान हू.